अशोक महान् का जीवन परिचय

Tuesday 9 January 2018

चंद्रगुप्त मौर्या जीवन परिचय

Chandragupta Maurya History in Hindi 


Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य , मौर्य साम्राज्य के संस्थापक और अखंड भारत निर्माण करने वाले प्रथम सम्राट थे | उन्होंने 324 ई. पूर्व तक राज किया और बाद में बिन्दुसार ने मौर्य साम्राज्य की कमान संभाली थी | चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के इतिहास में एक निर्णायक सम्राट था | उसने नन्द वंश के बढ़ते अत्याचारों को देखते हुए चाणक्य के साथ मिलकर नन्द वंश का नाश किया | उसने यूनानी साम्राज्य के सिकन्दर महान के पूर्वी क्षत्रपों को हराया और बाद में सिकन्दर के उत्तराधिकारी सेल्यूकस को हराया | यूनानी राजनयिक मेगास्थिनिज ने मौर्य इतिहास की काफी जानकारी दी| आइये अब आपको Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन के बारे में विस्तार से बताते है

चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रारम्भिक जीवन Early Life of Chandragupta Maurya


326 इसा पूर्व में जब सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था तब चन्द्रगुप्त किशोरावस्था में थे | सिकंदर ने Khyber Pass को पार कर राजा पुरु को हरा दिया था जबकि उसकी सेना बहुत बड़ी थी | उस समय राजा पुरु की सेना में 30 हाथी थे जिन्होंने सिकन्दर के घोड़ो और घुड़सवारो को रौंद दिया था | अब विजेता सिकन्दर का अगला निशाना नन्द साम्राज्य था जिसके पास 6000 हाथी और विशाल सेना थी |सिकन्दर जान गया था कि वो इस सेना को नही जीत पायेंगे इसलिए सिकन्दर की सेना गंगा के मैदानों से ही वापस लौट गयी | विश्व विजेता सिकन्दर ने नन्द साम्राज्य के आगे घुटने टेक दिए | इस घटना के पांच साल बाद सिकन्दर के भारत की जीत के स्वप्न को चन्द्रगुप्त मौर्य ने पूरा किया |



Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 इसा पूर्व बिहार राज्य के पटना जिले में माना जाता है | उसके जन्म के वास्तविक समय के बारे में अभी भी विवाद है | उदाहरण स्वरुप कुछ ग्रन्थ बताते है कि चन्द्रगुप्त के पिता एक क्षत्रिय थे और एक दुसरे ग्रन्थ में ये बताया गया है कि चन्द्रगुप्त के पिता तो राजा थे लेकिन माँ शुद्र जाति की एक दासी थी | Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त के बचपन के बारे में इतिहास में अधिक जानकारी नही है केवल नन्द साम्रज्य से जुडी उनकी कुछ कहानिया इतिहास में है कि किस प्रकार उन्होंने नन्द साम्राज्य का पतन कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी |

नंद साम्राज्य का विनाश और मौर्य साम्राज्य की स्थापना Conquest of Nanda Empire and Foundation of Maurya Dynasty


नन्द साम्राज्य के पतन से पूर्व नन्द साम्राज्य का आपको इतिहास बताना चाहते है क्योंकि ये वही वंश था जिसने विश्व विजेता सिंकन्दर को भारत में आने से रोका था | नन्द साम्राज्य में मगध पर राज करने वाले नौ भाई थे लेकिन उन सबमे महापदम् नंदा सबसे प्रसिद्ध था जिसे उग्रसेन नंदा भी कहते थे | उसका छोटा भाई धन नंदा था जो इस वंश का अंतिम शाषक था | धन नंदा के पास एक विशाल सेना थी जिसमे 200,000 पैदल सेना , 20,000 घुड़सवार सेना , 2,000 रथ  and 3,000 युद्ध हाथी थे |धन नंदा के शाषन के समय 326 ई. पूर्व में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण कर दिया और नंदा की मजबूत सेना ने उसे परास्त कर उसके अभियान को गंगा के मैदानों और सिंध तक सिमित कर दिया |

धन नंदा एक निरंकुश शासक था जिसने प्रतिदिन की वस्तुओ पर भी कर लगा दिया था जिसकी वजह से उसके खिलाफ असंतोष पनपने लगा | उस समय भारत विघटित होना शुर हो गया था और नंदा इस मामले में बहुत लापरवाह था इसलिए जनता के आक्रोश छा गया था | उस समय चाणक्य तक्षशिला का प्रख्यात शिक्षक था  और भारत पर विदेशी आक्रमणों के सिलसिले में बात करने मगध के दरबार में गया | नंदा ने ना केवल उसके प्रस्ताव को अस्वीकृत किया बल्कि उसका अपमान भी किया |




चाणक्य ने अपनी शिखा खोलकर उसी समय बदला लेने की शपथ खाई |उसने चन्द्रगुप्त मौर्य को नंदा के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार किया |चन्द्रगुप्त को नन्द साम्राज्य से उस समय देश निकाला मिला था तो चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्द साम्राज्य के स्थान पर उसे सिंहासन पर बिठाने का आश्वासन देकर अपने साथ किया | चाणक्य को नन्द वंश के राजा ने जो अपमानित किया था उसका प्रतिशोध वो नन्द वंश को समाप्त कर लेना चाहता था तो चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को हिन्दू सूत्रों के अनुसार कई तकनीके सिखाई और सेना बढाई |

Chandragupta Maurya चन्द्र गुप्त ने अपनी सेना को नेपाल के पहाड़ो में छिपा दिया और जहा पर सिकन्दर ने पुरु को तो हरा दिया लेकिन नन्द साम्राज्य को नही हरा पाया | शुरवात में तो उसकी सेना थोड़ी कमजोर रही लेकिन युद्दो के सिलसिले ने नन्द साम्राज्य की राजधानी पाटलीपुत्र पर कब्ज़ा कर लिया | 321 इसा पूर्व में 20 वर्ष के Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने खुद के साम्राज्य मौर्य साम्राज्य की स्थापना की. 

चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य विस्तार Expansion of Maurya Dynasty



Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य का नया साम्राज्य प्रारम्भ से ही वर्तमान अफगानिस्तान से पश्चिम में बर्मा और जम्मू कश्मीर से दक्षिण के हैदराबाद तक फ़ैल गया था | चाणक्य उनके दरबार में प्रधानमंत्री और मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते थे | 323 इसवी में जब सिकन्दर की मौत हो गयी तब उसका साम्राज्य छोटे छोटे तानाशाहों में विभाजित हो गया और उसमे से हर गणराज्य पर अलग शाशक था | 316 इसा पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य ने मध्य एशिया के सभी गणराज्यो को हराकर अपने साम्राज्य में मिला लिया  और अपने साम्राज्य को वर्तमान इरान , ताजकिस्तान और क्राजिस्तान तक फैला दिया |कुछ तथ्य बताते है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने दो Macedonian तानाशाहों की हत्या करवाई थी |

305 इसा पूर्व में Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त ने अपने साम्राज्य को पूर्वी फारस तक फैला दिया | उस समय फारस पर Seleucid Empire के संस्थापक Seleucus I Nicator का राज था जो कि सिकन्दर के राज में उनका साधारण सेनापति था | चन्द्रगुप्त ने पूर्वी एशिया के बड़े हिस्से को जब्त कर लिया और शांति वार्ता में युद्ध का अंत हो गया | चन्द्रगुप्त का उस जमीन पर कब्जा हो गया और साथ ही सेल्यूकस ने अपनी बेटी का विवाह चन्द्रगुप्त से करवा दिया | इसके बदले में सेल्यूकस को 500 हाथी तोहफे में मिले जिसका उपयोग उसने 301 इसवी में Ipsus की लड़ाई जीतने में किया|

इतने सारे गणराज्यो के साथ उसने उत्तरी और पश्चिमी भारत पर राज किया | चन्द्रगुप्त का अगला निशाना दक्षिण भारत था | 4 लाख सैनिको के साथ उसने भारत उपमहाद्वीप के कलिंग साम्राज्य और तमिल साम्राज्य को छोडकर पुरे भारत पर राज किया | उसके शाशन के अंत तक चन्द्र्गुप्र ने लगभग सभी राज्यों को एक कर दिया था | उसके बाद उसके पोते अशोक ने कलिंग और तमिल को भी अपने मौर्य साम्राज्य में मिला दिया था |

चन्द्रगुप्त मौर्य का जैन धर्म अपनाना और चन्द्रगुप्त की मृत्यु Jainism and Death of Chandragupta Maurya



50 वर्ष की उम्र में Chandragupta Maurya चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म से काफी प्रेरित होकर जैन धर्म का अनुयायी बन गया और जैन संत भद्रबाहु को अपना गुरु बना लिया | 298 BCE में अपना साम्राज्य अपने पुत्र बिन्दुसार को सौंप दिया | चन्द्रगुप्त मौर्य उसके बाद कर्नाटक की Shravanabelogola गुफाओ में चला गया और 5 सप्ताह तक बिना खाए पिए तप किया और अंत में संथारा [ भूख से मर जाना ] से मौत को प्राप्त हो गया |

चन्द्रगुप्त के जीवन पर आधारित फिल्मे और टीवी सीरियल Movies and TV Serial Based on Life of Chandragupta Maurya


Chandragupta Maurya के जीवन पर 1977 में तेलुगु भाषा में “चाणक्य चन्द्रगुप्त ” नाम से फिल्म बनी  | इसके बाद रूद्र राक्षश नाटक से प्रेरित चाणक्य के सम्पूर्ण जीवन पर दूरदर्शन पर टीवी सीरियल प्रसारित किया गया | इसके बाद Imagine TV पर 2011 में “Chandragupt Maurya “टीवी सीरीज प्रसारित किया गया | भारतीय डाक सेवा ने 2001 में चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम पर डाक टिकिट जारी किया था |

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